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पुराणों में उल्लेख है कि भगवान परशुराम ने  21  बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन करके उनके रक्त से समन्तपंचक क्षेत्र के पाँच सरोवर को भर कर अपने संकल्प को पूरा किया - परशुराम से भयभीत होकर कुछ लोधी क्षत्रिया शंकर भगवान की शरण में चले गये। और वहां शिव की उपासना करते रहे। और उस स्थान का नाम ही लोधीपुरी हो गया। परशुराम क्षत्रिय विनाश की कामना कर लोधीपुरी पहंुचे। तभी शंकर भगवान ने परशुराम को ललकार कर कहा 'मैरे होते हुए आप किसी को हानि नहीं पहुंचा सकते। इसके लिये आपको युद्ध करना होगा'। यहां पर परशुराम और लोधी क्षत्रियों में युद्ध हुआ। शंकर भगवान के आर्शीवाद से परशुराम को यहां से लज्जित होकर अपने आश्रम वापस लौटना पड़ा। तभी से शंकर भगवान का नाम लोधेश्वर भगवान पड़ गया। 

     LODHI RAJPUT SIDES CREATED BY PK RAJPUT +918650233711  DATE 2016

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